चित्तरंजन रेलइंजन कारखाना (चिरेका) का नामकरण महान स्वतंत्रता सेनानी, नेता एवं देशबन्धु चित्तरंजन दास के नाम पर किया गया है।
चिरेका में उत्पादन की गतिविधि 26 जनवरी, 1950 को शुरू की गयी थी जिस दिन भारत गणतंत्र बना। चित्तरंजन रेलइंजन कारखाना का प्रारंभिक उत्पाद वाष्प रेलइंजन था। वर्ष 1950-1972 की अवधि में चित्तरंजन रेलइंजन कारखाने ने 2351 वाष्प रेलइंजनों का उत्पादन किया। वर्ष 1968 से 1993 तक चिरेका ने 842 डीजल रेलइंजन का निर्माण किया एवं वर्ष 1961 से 31-03-21 तक विभिन्न प्रकार के कुल 7575 विद्युत रेलइंजनों का उत्पादन किया है।
इन वर्षों में चिरेका एक अत्यन्त संपन्न, आशाजनक एवं विश्वसनीय रेलइंजन निर्माता प्रमाणित हुआ है। इसने अपने आप को वाष्प रेलइंजन निर्माता से डीजल रेलइंजन निर्माता एवं अंत में आधुनिक, उच्च शक्ति वाले विद्युत रेलइंजन के निर्माता के रूप में परिवर्तित किया है। इस साहसिक कार्य का प्रतिफल मिला है और चिरेका वर्तमान में नवीनतम “इन्सुलेटेड गेट बाइपोलर ट्रांजिस्टर” (आईजीबीटी) प्रौद्योगिकी के सभी आधुनिक विशेषताओं सहित अत्याधुनिक 3-फेज रेलइंजनों का सफलतापूर्वक उत्पादन कर रहा है।
यह विश्व का सबसे बड़ा विद्युत रेलइंजन निर्माता है। चिरेका एसी कर्षण मोटर, स्वीच गियर/कंट्रोल गियर, बोगी कास्ट एवं फैब्रिकेटेड, ह्वील सेट्स एवं स्टील कास्टिंग का भी निर्माण करता है।वर्तमान में, चिरेका भारतीय रेल को उच्च गति एवं भारी वज़न खींचने वाले विद्युत कर्षण के क्षेत्र में आत्म-निर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, एवं इस प्रकार भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए एक वाहन के रूप में कार्य कर रहा है। इतने वर्षों के हमारे समर्पित प्रयास से माल एवं यात्री परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराने में इस रेल इंजन कारखाने का तेजी से संवृद्धि और विकास हुआ है।
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